******************************************************************************************************************************************************************
[1]
**जीवन की सचाई**
एक आदमी की चार पत्नियाँ थी।
वह अपनी चौथी पत्नी से बहुत प्यार करता था और उसकी खूब देखभाल करता व उसको सबसे श्रेष्ठ देता।
वह अपनी तीसरी पत्नी से भी प्यार करता था और हमेशा उसे अपने मित्रों को दिखाना चाहता था। हालांकि उसे हमेशा डर था की वह कभी भी किसी दुसरे इंसान के साथ भाग सकती है।
वह अपनी दूसरी पत्नी से भी प्यार करता था।जब भी उसे कोई परेशानी आती तो वे अपनी दुसरे नंबर की पत्नी के पास जाता और वो उसकी समस्या सुलझा देती।
वह अपनी पहली पत्नी से प्यार नहीं करता था जबकि पत्नी उससे बहुत गहरा प्यार करती थी और उसकी खूब देखभाल करती।
एक दिन वह बहुत बीमार पड़ गया और जानता था की जल्दी ही वह मर जाएगा।उसने अपने आप से कहा," मेरी चार पत्नियां हैं, उनमें से मैं एक को अपने साथ ले जाता हूँ...जब मैं मरूं तो वह मरने में मेरा साथ दे।"
तब उसने चौथी पत्नी से अपने साथ आने को कहा तो वह बोली," नहीं, ऐसा तो हो ही नहीं सकता और चली गयी।
उसने तीसरी पत्नी से पूछा तो वह बोली की," ज़िन्दगी बहुत अच्छी है यहाँ।जब तुम मरोगे तो मैं दूसरी शादी कर लूंगी।"
उसने दूसरी पत्नी से कहा तो वह बोली, " माफ़ कर दो, इस बार मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकती।ज्यादा से ज्यादा मैं तुम्हारे दफनाने तक तुम्हारे साथ रह सकती हूँ।"
अब तक उसका दिल बैठ सा गया और ठंडा पड़ गया।तब एक आवाज़ आई," मैं तुम्हारे साथ चलने को तैयार हूँ।तुम जहाँ जाओगे मैं तुम्हारे साथ चलूंगी।"
उस आदमी ने जब देखा तो वह उसकी पहली पत्नी थी।वह बहुत बीमार सी हो गयी थी खाने पीने के अभाव में।
वह आदमी पश्चाताप के आंसूं के साथ बोला," मुझे तुम्हारी अच्छी देखभाल करनी चाहिए थी और मैं कर सकता थाI"
दरअसल हम सब की चार पत्नियां हैं जीवन में।
1. चौथी पत्नी हमारा शरीर है।
हम चाहें जितना सजा लें संवार लें पर जब हम मरेंगे तो यह हमारा साथ छोड़ देगा।
2. तीसरी पत्नी है हमारी जमा पूँजी, रुतबा। जब हम मरेंगे
तो ये दूसरों के पास चले जायेंगे।
3. दूसरी पत्नी है हमारे दोस्त व रिश्तेदार।चाहेंवे कितने भी करीबी क्यूँ ना हों हमारे जीवन काल में पर मरने के बाद हद से हद वे हमारे अंतिम संस्कार तक साथ रहते हैं।
4. पहली पत्नी हमारी आत्मा है, जो सांसारिक मोह माया में हमेशा उपेक्षित रहती है।
यही वह चीज़ है जो हमारे साथ रहती है जहाँ भी हम जाएँ.......
कुछ देना है तो इसे दो....
देखभाल करनी है तो इसकी करो....
प्यार करना है तो इससे करो...
मिली थी जिन्दगी
किसी के 'काम' आने के लिए..
पर वक्त बीत रहा है
कागज के टुकड़े कमाने के लिए..
क्या करोगे इतना पैसा कमा कर..?
ना कफन मे 'जेब' है ना कब्र मे 'अलमारी..'
और ये मौत के फ़रिश्ते तो
'रिश्वत' भी नही लेते...
******************************************************************************************************************************************************************
[2]
** चार मोमबत्तियां **
🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
रात का समय था, चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था , नज़दीक ही एक कमरे में
चार मोमबत्तियां जल रही थीं।
एकांत पा करआज वे एक दुसरे से दिल की बात कर रही थीं।
🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
पहली मोमबत्ती बोली,
” मैं शांति हूँ ,
पर मुझे लगता है अब इस दुनिया को मेरी ज़रुरत नहीं है ,
हर तरफआपाधापी और लूट-मार मची हुई है, मैं यहाँ अब और नहीं रह सकती। …”
और ऐसा कहते हुए , कुछ देर में वो मोमबत्ती बुझ गयी।
🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
दूसरी मोमबत्ती बोली ,.
” मैं विश्वास हूँ ,
और मुझे लगता है झूठ और फरेब के बीच मेरी भी यहाँ कोई ज़रुरत नहीं है ,
मैं भी यहाँ से जा रही हूँ …” ,
और दूसरी मोमबत्ती भी बुझ गयी।
🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
तीसरी मोमबत्ती भी दुखी होते हुए बोली , ”
मैं प्रेम हूँ,
मेरे पास जलते रहने की ताकत है,
पर आज हर कोई इतना व्यस्त है कि मेरे लिए किसी के पास वक्त ही नहीं,
दूसरों से तो दूर लोग अपनों से भी प्रेम करना भूलते जा रहे हैं ,
मैं ये सब और नहीं सह सकती मैं भी इस दुनिया से जा रही हूँ….”
और ऐसा कहते हुए तीसरी मोमबत्ती भी बुझ गयी।
🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
वो अभी बुझी ही थी कि एक मासूम बच्चा उस कमरे में दाखिल हुआ।
मोमबत्तियों को बुझे देख वह घबरा गया ,
उसकी आँखों से आंसू टपकने लगे और वह रुंआसा होते हुए बोला ,
“अरे , तुम मोमबत्तियां जल क्यों नहीं रही , तुम्हे तो अंत तक जलना है !
तुम इस तरह बीचमें हमें कैसे छोड़ के जा सकती हो ?”
🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
तभी चौथी मोमबत्ती बोली ,
” प्यारे बच्चे घबराओ नहीं, मैं आशा हूँ और जब तक मैं जल रही हूँ
हम बाकी मोमबत्तियों को फिर सेजला सकते हैं। “
यह सुन बच्चे की आँखें चमक उठीं,
और उसने आशा के बल पे शांति, विश्वास, और प्रेम को फिर से प्रकाशित कर दिया।
🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
जब सबकुछ बुरा होते दिखे ,चारों तरफ अन्धकार ही अन्धकार नज़र आये ,
अपने भी पराये लगने लगें तो भी उम्मीद मत छोड़िये….आशा मत छोड़िये ,
क्योंकि इसमें इतनी शक्ति है कि ये हर खोई हुई चीज आपको वापस दिल सकती है।
अपनी आशा की मोमबत्ती को जलाये रखिये ,बस अगर ये जलती रहेगी तो आप किसी भी और
मोमबत्ती को प्रकाशित कर सकते हैं।
******************************************************************************************************************************************************************
[3]
** धार्मिक महिला और नास्तिक पड़ोसी **
एक गाँव में एक धार्मिक प्रवृत्ति की महिला रहती थी. वह हर रोज सुबह-सुबह अपने घर से निकलती और जोर-जोर से चिल्ला कर भगवान के नाम के जयकारे लगाती.
उसकी इस हरकत से उसका पड़ोसी, जो कि पूरी तरह से नास्तिक था, बहुत चिढ़ता था. जैसे ही महिला जयकारा लगाती, वह भी बाहर निकल कर उससे कहता – “क्यों गला फाड़ रही है, दुनिया में कोई भगवान नहीं है …”
लेकिन महिला उसकी बात को अनसुना कर देती और जयकारा लगाना जारी रखती.
एक दिन महिला के घर में खाने को कुछ भी नहीं था, तो वह बाहर आकर चिल्लाने लगी – “भगवान तेरी जय हो … आज मेरे लिए खाना भेज देना … तब तक मैं मंदिर होकर आती हूँ !”
पड़ोसी ने यह सब सुना तो मजे लेने के लिए वह फ़ौरन दुकान पर गया और खाने की सामग्री लेकर महिला के घर के बरामदे में छोड़ गया.
महिला मंदिर से लौटकर आई तो खाना देख कर प्रसन्नता से चिल्लाई – “भगवान तेरी जय हो … खाना भेजने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद !”
पड़ोसी ने सुना तो वह फ़ौरन बाहर आकर बोला – “अरी मूर्ख, यह सब तेरा भगवान नहीं लाया. मैं लाया हूँ अपने पैसे से …!!”
पड़ोसी की बात सुन कर महिला दुगुने जोश से चिल्लाई – “भगवान तेरी हजार बार जय हो …. मुझे खाना भेजने के लिए और उसका भुगतान इस कमबख्त नास्तिक की जेब से करवाने के लिए … !!!”
******************************************************************************************************************************************************************
[4]
** कला का पारखी **
जुम्मन मियां की बाजार की एक गली में छोटी सी मगर बहुत पुरानी कपड़े सीने की दुकान थी।
उनकी इकलौती सिलाई मशीन के बगल में एक बिल्ली बैठी एक पुराने गंदे कटोरे में दूध पी रही थी।
एक बहुत बड़ा कला पारखी जुम्मन मियां की दुकान के सामने से गुजरा। कला पारखी होने के कारण जान गया कि कटोरा एक एंटीक आइटम है और कला के बाजार में बढ़िया कीमत में बिकेगा।
लेकिन वह ये नहीं चाहता था की जुम्मन मियां को इस बात का पता लगे कि उनके पास मौजूद वह गंदा सा पुराना कटोरा इतना कीमती है। उसने दिमाग लगाया और जुम्मन मियां से बोला,- ‘बड़े मियां, आदाब, आपकी बिल्ली बहुत प्यारी है, मुझे पसंद आ गई है। क्या आप बिल्ली मुझे देंगे? चाहे तो कीमत ले लीजिए।’
जुम्मन मियां ने पहले तो इनकार किया मगर जब कलापारखी कीमत बढ़ाते-बढ़ाते दस हजार रुपयों तक पहुंच गया तो जुम्मन मियां बिल्ली बेचने को राजी हो गए और दाम चुकाकर कला पारखी बिल्ली लेकर जाने लगा।
अचानक वह रुका और पलटकर जुम्मन मियां से बोला- “बड़े मियां बिल्ली तो आपने बेच दी। अब इस पुराने कटोरे का आप क्या करोगे? इसे भी मुझे ही दे दीजिए। बिल्ली को दूध पिलाने के काम आएगा। चाहे तो इसके भी 100-50 रुपए ले लीजिए।’
जुम्मन मियां ने बड़े प्यार से कटोरे को सहलाते हुए जवाब दिया, “नहीं साहब, कटोरा तो मैं किसी कीमत पर नहीं बेचूंगा, क्योंकि इसी कटोरे की वजह से आज तक मैं 50 बिल्लियां बेच चुका हूं।
******************************************************************************************************************************************************************
[5]
** समझदार कुत्ता **
[9]
** गधो को मंत्री बनाने की प्रथा **
तब से ही गधो को मंत्री बनाने की प्रथा चली आ रही है
[1]
**जीवन की सचाई**
एक आदमी की चार पत्नियाँ थी।
वह अपनी चौथी पत्नी से बहुत प्यार करता था और उसकी खूब देखभाल करता व उसको सबसे श्रेष्ठ देता।
वह अपनी तीसरी पत्नी से भी प्यार करता था और हमेशा उसे अपने मित्रों को दिखाना चाहता था। हालांकि उसे हमेशा डर था की वह कभी भी किसी दुसरे इंसान के साथ भाग सकती है।
वह अपनी दूसरी पत्नी से भी प्यार करता था।जब भी उसे कोई परेशानी आती तो वे अपनी दुसरे नंबर की पत्नी के पास जाता और वो उसकी समस्या सुलझा देती।
वह अपनी पहली पत्नी से प्यार नहीं करता था जबकि पत्नी उससे बहुत गहरा प्यार करती थी और उसकी खूब देखभाल करती।
एक दिन वह बहुत बीमार पड़ गया और जानता था की जल्दी ही वह मर जाएगा।उसने अपने आप से कहा," मेरी चार पत्नियां हैं, उनमें से मैं एक को अपने साथ ले जाता हूँ...जब मैं मरूं तो वह मरने में मेरा साथ दे।"
तब उसने चौथी पत्नी से अपने साथ आने को कहा तो वह बोली," नहीं, ऐसा तो हो ही नहीं सकता और चली गयी।
उसने तीसरी पत्नी से पूछा तो वह बोली की," ज़िन्दगी बहुत अच्छी है यहाँ।जब तुम मरोगे तो मैं दूसरी शादी कर लूंगी।"
उसने दूसरी पत्नी से कहा तो वह बोली, " माफ़ कर दो, इस बार मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकती।ज्यादा से ज्यादा मैं तुम्हारे दफनाने तक तुम्हारे साथ रह सकती हूँ।"
अब तक उसका दिल बैठ सा गया और ठंडा पड़ गया।तब एक आवाज़ आई," मैं तुम्हारे साथ चलने को तैयार हूँ।तुम जहाँ जाओगे मैं तुम्हारे साथ चलूंगी।"
उस आदमी ने जब देखा तो वह उसकी पहली पत्नी थी।वह बहुत बीमार सी हो गयी थी खाने पीने के अभाव में।
वह आदमी पश्चाताप के आंसूं के साथ बोला," मुझे तुम्हारी अच्छी देखभाल करनी चाहिए थी और मैं कर सकता थाI"
दरअसल हम सब की चार पत्नियां हैं जीवन में।
1. चौथी पत्नी हमारा शरीर है।
हम चाहें जितना सजा लें संवार लें पर जब हम मरेंगे तो यह हमारा साथ छोड़ देगा।
2. तीसरी पत्नी है हमारी जमा पूँजी, रुतबा। जब हम मरेंगे
तो ये दूसरों के पास चले जायेंगे।
3. दूसरी पत्नी है हमारे दोस्त व रिश्तेदार।चाहेंवे कितने भी करीबी क्यूँ ना हों हमारे जीवन काल में पर मरने के बाद हद से हद वे हमारे अंतिम संस्कार तक साथ रहते हैं।
4. पहली पत्नी हमारी आत्मा है, जो सांसारिक मोह माया में हमेशा उपेक्षित रहती है।
यही वह चीज़ है जो हमारे साथ रहती है जहाँ भी हम जाएँ.......
कुछ देना है तो इसे दो....
देखभाल करनी है तो इसकी करो....
प्यार करना है तो इससे करो...
मिली थी जिन्दगी
किसी के 'काम' आने के लिए..
पर वक्त बीत रहा है
कागज के टुकड़े कमाने के लिए..
क्या करोगे इतना पैसा कमा कर..?
ना कफन मे 'जेब' है ना कब्र मे 'अलमारी..'
और ये मौत के फ़रिश्ते तो
'रिश्वत' भी नही लेते...
******************************************************************************************************************************************************************
[2]
** चार मोमबत्तियां **
🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
रात का समय था, चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था , नज़दीक ही एक कमरे में
चार मोमबत्तियां जल रही थीं।
एकांत पा करआज वे एक दुसरे से दिल की बात कर रही थीं।
🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
पहली मोमबत्ती बोली,
” मैं शांति हूँ ,
पर मुझे लगता है अब इस दुनिया को मेरी ज़रुरत नहीं है ,
हर तरफआपाधापी और लूट-मार मची हुई है, मैं यहाँ अब और नहीं रह सकती। …”
और ऐसा कहते हुए , कुछ देर में वो मोमबत्ती बुझ गयी।
🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
दूसरी मोमबत्ती बोली ,.
” मैं विश्वास हूँ ,
और मुझे लगता है झूठ और फरेब के बीच मेरी भी यहाँ कोई ज़रुरत नहीं है ,
मैं भी यहाँ से जा रही हूँ …” ,
और दूसरी मोमबत्ती भी बुझ गयी।
🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
तीसरी मोमबत्ती भी दुखी होते हुए बोली , ”
मैं प्रेम हूँ,
मेरे पास जलते रहने की ताकत है,
पर आज हर कोई इतना व्यस्त है कि मेरे लिए किसी के पास वक्त ही नहीं,
दूसरों से तो दूर लोग अपनों से भी प्रेम करना भूलते जा रहे हैं ,
मैं ये सब और नहीं सह सकती मैं भी इस दुनिया से जा रही हूँ….”
और ऐसा कहते हुए तीसरी मोमबत्ती भी बुझ गयी।
🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
वो अभी बुझी ही थी कि एक मासूम बच्चा उस कमरे में दाखिल हुआ।
मोमबत्तियों को बुझे देख वह घबरा गया ,
उसकी आँखों से आंसू टपकने लगे और वह रुंआसा होते हुए बोला ,
“अरे , तुम मोमबत्तियां जल क्यों नहीं रही , तुम्हे तो अंत तक जलना है !
तुम इस तरह बीचमें हमें कैसे छोड़ के जा सकती हो ?”
🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
तभी चौथी मोमबत्ती बोली ,
” प्यारे बच्चे घबराओ नहीं, मैं आशा हूँ और जब तक मैं जल रही हूँ
हम बाकी मोमबत्तियों को फिर सेजला सकते हैं। “
यह सुन बच्चे की आँखें चमक उठीं,
और उसने आशा के बल पे शांति, विश्वास, और प्रेम को फिर से प्रकाशित कर दिया।
🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
जब सबकुछ बुरा होते दिखे ,चारों तरफ अन्धकार ही अन्धकार नज़र आये ,
अपने भी पराये लगने लगें तो भी उम्मीद मत छोड़िये….आशा मत छोड़िये ,
क्योंकि इसमें इतनी शक्ति है कि ये हर खोई हुई चीज आपको वापस दिल सकती है।
अपनी आशा की मोमबत्ती को जलाये रखिये ,बस अगर ये जलती रहेगी तो आप किसी भी और
मोमबत्ती को प्रकाशित कर सकते हैं।
******************************************************************************************************************************************************************
[3]
** धार्मिक महिला और नास्तिक पड़ोसी **
एक गाँव में एक धार्मिक प्रवृत्ति की महिला रहती थी. वह हर रोज सुबह-सुबह अपने घर से निकलती और जोर-जोर से चिल्ला कर भगवान के नाम के जयकारे लगाती.
उसकी इस हरकत से उसका पड़ोसी, जो कि पूरी तरह से नास्तिक था, बहुत चिढ़ता था. जैसे ही महिला जयकारा लगाती, वह भी बाहर निकल कर उससे कहता – “क्यों गला फाड़ रही है, दुनिया में कोई भगवान नहीं है …”
लेकिन महिला उसकी बात को अनसुना कर देती और जयकारा लगाना जारी रखती.
एक दिन महिला के घर में खाने को कुछ भी नहीं था, तो वह बाहर आकर चिल्लाने लगी – “भगवान तेरी जय हो … आज मेरे लिए खाना भेज देना … तब तक मैं मंदिर होकर आती हूँ !”
पड़ोसी ने यह सब सुना तो मजे लेने के लिए वह फ़ौरन दुकान पर गया और खाने की सामग्री लेकर महिला के घर के बरामदे में छोड़ गया.
महिला मंदिर से लौटकर आई तो खाना देख कर प्रसन्नता से चिल्लाई – “भगवान तेरी जय हो … खाना भेजने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद !”
पड़ोसी ने सुना तो वह फ़ौरन बाहर आकर बोला – “अरी मूर्ख, यह सब तेरा भगवान नहीं लाया. मैं लाया हूँ अपने पैसे से …!!”
पड़ोसी की बात सुन कर महिला दुगुने जोश से चिल्लाई – “भगवान तेरी हजार बार जय हो …. मुझे खाना भेजने के लिए और उसका भुगतान इस कमबख्त नास्तिक की जेब से करवाने के लिए … !!!”
******************************************************************************************************************************************************************
[4]
** कला का पारखी **
जुम्मन मियां की बाजार की एक गली में छोटी सी मगर बहुत पुरानी कपड़े सीने की दुकान थी।
उनकी इकलौती सिलाई मशीन के बगल में एक बिल्ली बैठी एक पुराने गंदे कटोरे में दूध पी रही थी।
एक बहुत बड़ा कला पारखी जुम्मन मियां की दुकान के सामने से गुजरा। कला पारखी होने के कारण जान गया कि कटोरा एक एंटीक आइटम है और कला के बाजार में बढ़िया कीमत में बिकेगा।
लेकिन वह ये नहीं चाहता था की जुम्मन मियां को इस बात का पता लगे कि उनके पास मौजूद वह गंदा सा पुराना कटोरा इतना कीमती है। उसने दिमाग लगाया और जुम्मन मियां से बोला,- ‘बड़े मियां, आदाब, आपकी बिल्ली बहुत प्यारी है, मुझे पसंद आ गई है। क्या आप बिल्ली मुझे देंगे? चाहे तो कीमत ले लीजिए।’
जुम्मन मियां ने पहले तो इनकार किया मगर जब कलापारखी कीमत बढ़ाते-बढ़ाते दस हजार रुपयों तक पहुंच गया तो जुम्मन मियां बिल्ली बेचने को राजी हो गए और दाम चुकाकर कला पारखी बिल्ली लेकर जाने लगा।
अचानक वह रुका और पलटकर जुम्मन मियां से बोला- “बड़े मियां बिल्ली तो आपने बेच दी। अब इस पुराने कटोरे का आप क्या करोगे? इसे भी मुझे ही दे दीजिए। बिल्ली को दूध पिलाने के काम आएगा। चाहे तो इसके भी 100-50 रुपए ले लीजिए।’
जुम्मन मियां ने बड़े प्यार से कटोरे को सहलाते हुए जवाब दिया, “नहीं साहब, कटोरा तो मैं किसी कीमत पर नहीं बेचूंगा, क्योंकि इसी कटोरे की वजह से आज तक मैं 50 बिल्लियां बेच चुका हूं।
******************************************************************************************************************************************************************
[5]
*बहुत अच्छी सीख है, कृपया पढ़ियेगा जरूर...*
एक पिता ने अपने पुत्र की बहुत अच्छी तरह से परवरिश की !उसे अच्छी तरह से पढ़ाया, लिखाया, तथा उसकी सभी सुकामनांओ की पूर्ती की !
कालान्तर में वह पुत्र एक सफल इंसान बना और एक मल्टी नैशनल कंपनी में सी.ई.ओ. बन गया !
उच्च पद ,अच्छा वेतन, सभी सुख सुविधांए उसे कंपनी की और से प्रदान की गई !
कालान्तर में वह पुत्र एक सफल इंसान बना और एक मल्टी नैशनल कंपनी में सी.ई.ओ. बन गया !
उच्च पद ,अच्छा वेतन, सभी सुख सुविधांए उसे कंपनी की और से प्रदान की गई !
समय गुजरता गया उसका विवाह एक सुलक्षणा कन्या से हो गया,और उसके बच्चे भी हो गए । उसका अपना परिवार बन गया !
पिता अब बूढा हो चला था ! एक दिन पिता को पुत्र से मिलने की इच्छा हुई और वो पुत्र से मिलने उसके ऑफिस में गया.....!!!
वहां उसने देखा कि..... उसका पुत्र एक शानदार ऑफिस का अधिकारी बना हुआ है, उसके ऑफिस में सैंकड़ो कर्मचारी उसके अधीन कार्य कर रहे है... !
ये सब देख कर पिता का सीना गर्व से फूल गया !
वह बूढ़ा पिता बेटे के चेंबर में जाकर उसके कंधे पर हाथ रख कर खड़ा हो गया !
और प्यार से अपने पुत्र से पूछा...
"इस दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान कौन है"? पुत्र ने पिता को बड़े प्यार से हंसते हुए कहा "मेरे अलावा कौन हो सकता है पिताजी "!
ये सब देख कर पिता का सीना गर्व से फूल गया !
वह बूढ़ा पिता बेटे के चेंबर में जाकर उसके कंधे पर हाथ रख कर खड़ा हो गया !
और प्यार से अपने पुत्र से पूछा...
"इस दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान कौन है"? पुत्र ने पिता को बड़े प्यार से हंसते हुए कहा "मेरे अलावा कौन हो सकता है पिताजी "!
पिता को इस जवाब की आशा नहीं थी, उसे विश्वास था कि उसका बेटा गर्व से कहेगा पिताजी इस दुनिया के सब से शक्तिशाली इंसान आप हैैं, जिन्होंने मुझे इतना योग्य बनाया !
उनकी आँखे छलछला आई ! वो चेंबर के गेट को खोल कर बाहर निकलने लगे !
उन्होंने एक बार पीछे मुड़ कर पुनः बेटे से पूछा एक बार फिर बताओ इस दुनिया का सब से शक्तिशाली इंसान कौन है ???
पुत्र ने इस बार कहा
"पिताजी आप हैैं, इस दुनिया के सब से शक्तिशाली इंसान "!
पिता सुनकर आश्चर्यचकित हो गए उन्होंने कहा "अभी तो तुम अपने आप को इस दुनिया का सब से शक्तिशाली इंसान बता रहे थे अब तुम मुझे बता रहे हो " ???
पुत्र ने इस बार कहा
"पिताजी आप हैैं, इस दुनिया के सब से शक्तिशाली इंसान "!
पिता सुनकर आश्चर्यचकित हो गए उन्होंने कहा "अभी तो तुम अपने आप को इस दुनिया का सब से शक्तिशाली इंसान बता रहे थे अब तुम मुझे बता रहे हो " ???
पुत्र ने हंसते हुए उन्हें अपने सामने बिठाते हुए कहा "पिताजी उस समय आप का हाथ मेरे कंधे पर था, जिस पुत्र के कंधे पर या सिर पर पिता का हाथ हो वो पुत्र तो दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान ही होगा ना,,,,,
बोलिए पिताजी" !
पिता की आँखे भर आई उन्होंने अपने पुत्र को कस कर के अपने गले लग लिया !
बोलिए पिताजी" !
पिता की आँखे भर आई उन्होंने अपने पुत्र को कस कर के अपने गले लग लिया !
सच है जिस के कंधे पर या सिर पर पिता का हाथ होता है, वो इस दुनिया का सब से शक्तिशाली इंसान होता है !
सदैव बुजुर्गों का सम्मान करें!!!!
हमारी सफलता के पीछे वे ही हैं..
हमारी सफलता के पीछे वे ही हैं..
*हमारी तरक्की उन्नति से जब सभी लोग जलते हैं तो केवल माँ बाप ही हैं जो खुश होते हैं*
************************************************************************************************************************************************************************************************************************
[6]
** जौहरी **
** जौहरी **
बहुत ही अच्छी लधु कथा है कृपया जरूर पढ़ें 👏
.
एक जौहरी के निधन के बाद उसका परिवार संकट में पड़ गया।
,
खाने के भी लाले पड़ गए।
,
एक दिन उसकी पत्नी ने अपने 💃बेटे को नीलम का एक हार देकर कहा- 'बेटा, इसे अपने चाचा की
दुकान पर ले जाओ।
,
कहना इसे बेचकर कुछ रुपये दे दें।
,
💃बेटा वह हार लेकर चाचा जी के पास गया।
,
चाचा ने हार को अच्छी तरह से देख परखकर कहा- बेटा,
मां से कहना कि अभी बाजार बहुत मंदा है।
,
थोड़ा रुककर बेचना, अच्छे दाम मिलेंगे।
,
उसे थोड़े से रुपये देकर कहा कि तुम कल से दुकान पर आकर बैठना।
,
अगले दिन से वह लड़का रोज दुकान पर जाने लगा और वहां हीरों रत्नो की परख का काम सीखने लगा।
,
एक दिन वह बड़ा पारखी बन गया।
लोग दूर-दूर से अपने हीरे की परख कराने आने लगे।
,
एक दिन उसके चाचा ने कहा, बेटा अपनी मां से वह हार लेकर आना और कहना कि अब बाजार बहुत तेज है,
,
उसके अच्छे दाम मिल जाएंगे।
,
मां से हार लेकर उसने परखा तो पाया कि वह तो नकली है।
,
वह उसे घर पर ही छोड़ कर दुकान लौट आया।
,
चाचा ने पूछा, हार नहीं लाए?
,
उसने कहा, वह तो नकली था।
,
तब चाचा ने कहा- जब तुम पहली बार हार लेकर आये थे, तब मैं उसे नकली बता देता तो तुम सोचते कि
आज हम पर बुरा वक्त आया तो चाचा हमारी चीज को भी नकली बताने लगे।
,
आज जब तुम्हें खुद ज्ञान हो गया तो
पता चल गया कि हार सचमुच नकली है।
,
सच यह है कि ज्ञान के बिना इस संसार में
हम जो भी सोचते, देखते और जानते हैं,
सब गलत है।
,
और ऐसे ही गलतफहमी का शिकार
होकर रिश्ते बिगडते है।
Think and Live Long Relationship
ज़रा सी रंजिश पर ,ना छोड़
किसी अपने का दामन.
,
ज़िंदगी बीत जाती है
अपनो को अपना बनाने में.
एक पल भी नहीं लगता रिस्तों को बिगड जाने में
******************************************************************************************************************************************************************
[7]
** समझदार कुत्ता **
रात के समय एक दुकानदार अपनी दुकान बन्द ही कर रहा था कि एक कुत्ता दुकान में आया ..
,
उसके मुॅंह में एक थैली थी, जिसमें सामान की लिस्ट और पैसे थे ...
,दुकानदार ने पैसे लेकर सामान उस थैली में भर दिया ...
,कुत्ते ने थैली मुॅंह मे उठा ली और चला गया ...
,दुकानदार आश्चर्यचकित होके कुत्ते के पीछे पीछे गया ये देखने की इतने समझदार कुत्ते का मालिक कौन है ....
,कुत्ता बस स्टाॅप पर खडा रहा, थोडी देर बाद
एक बस आई जिसमें चढ गया ..
,कंडक्टर के पास आते ही अपनी गर्दन आगे कर दी, उस के गले के बेल्ट में पैसे और
उसका पता भी था ..
,कंडक्टर ने पैसे लेकर टिकट कुत्ते के गले के
बेल्ट मे रख दिया ..
,अपना स्टाॅप आते ही कुत्ता आगे के दरवाजे पे चला गया और पूॅंछ हिलाकर कंडक्टर
को इशारा कर दिया
,कुत्ते ने थैली मुॅंह मे उठा ली और चला गया ...
,दुकानदार आश्चर्यचकित होके कुत्ते के पीछे पीछे गया ये देखने की इतने समझदार कुत्ते का मालिक कौन है ....
,कुत्ता बस स्टाॅप पर खडा रहा, थोडी देर बाद
एक बस आई जिसमें चढ गया ..
,कंडक्टर के पास आते ही अपनी गर्दन आगे कर दी, उस के गले के बेल्ट में पैसे और
उसका पता भी था ..
,कंडक्टर ने पैसे लेकर टिकट कुत्ते के गले के
बेल्ट मे रख दिया ..
,अपना स्टाॅप आते ही कुत्ता आगे के दरवाजे पे चला गया और पूॅंछ हिलाकर कंडक्टर
को इशारा कर दिया
और बस के रुकते ही उतरकर चल दिया ...
,दुकानदार भी पीछे पीछे चल रहा था ...
,कुत्ते ने घर का दरवाजा अपने पैरों से २-३ बार खटखटाया ...
,अन्दर से उसका मालिक आया और लाठी से
उसकी पिटाई कर दी ..
,दुकानदार ने मालिक से इसका कारण पूछा .. ??
,मालिक बोला .. "साले ने मेरी नींद खराब कर दी, चाबी साथ लेके नहीं जा सकता था गधा"
,
,
,
,जीवन की भी यही सच्चाई है ..
,आपसे लोगों की अपेक्षाओं का
कोई अन्त नहीं है ..
,जहाँ आप चूके वहीं पर लोग बुराई निकाल लेते हैं और पिछली सारी अच्छाईयों को भूल जाते हैं ..
,"इसलिए अपने कर्म करते चलो, लोग आपसे कभी संतुष्ट नहीं होएँगे।।"
,अगर दिल को छुआ हो तो शेयर जरूर कीजियेगा
,दुकानदार भी पीछे पीछे चल रहा था ...
,कुत्ते ने घर का दरवाजा अपने पैरों से २-३ बार खटखटाया ...
,अन्दर से उसका मालिक आया और लाठी से
उसकी पिटाई कर दी ..
,दुकानदार ने मालिक से इसका कारण पूछा .. ??
,मालिक बोला .. "साले ने मेरी नींद खराब कर दी, चाबी साथ लेके नहीं जा सकता था गधा"
,
,
,
,जीवन की भी यही सच्चाई है ..
,आपसे लोगों की अपेक्षाओं का
कोई अन्त नहीं है ..
,जहाँ आप चूके वहीं पर लोग बुराई निकाल लेते हैं और पिछली सारी अच्छाईयों को भूल जाते हैं ..
,"इसलिए अपने कर्म करते चलो, लोग आपसे कभी संतुष्ट नहीं होएँगे।।"
,अगर दिल को छुआ हो तो शेयर जरूर कीजियेगा

👍
******************************************************************************************************************************************************************
[8]
** राजा का बकरा **
किसी राजा के पास एक बकरा था ।
एक बार उसने एलान किया की जो कोई इस बकरे को जंगल में चराकर तृप्त करेगा
मैं उसे आधा राज्य दे दूंगा।
किंतु बकरे का पेट पूरा भरा है या नहीं इसकी परीक्षा मैं खुद करूँगा।
इस एलान को सुनकर एक मनुष्य राजा के पास आकर कहने लगा कि बकरा चराना कोई बड़ी बात नहीं है।
वह बकरे को लेकर जंगल में गया और सारे दिन उसे घास चराता रहा,, शाम तक उसने बकरे
को खूब घास खिलाई और फिर सोचा की सारे दिन इसने इतनी घास खाई है अब तो इसका पेट भर गया होगा तो अब इसको राजा के पास ले चलूँ,,
बकरे के साथ वह राजा के पास गया,,
राजा ने थोड़ी सी हरी घास बकरे के सामने रखी तो बकरा उसे खाने लगा।
इस पर राजा ने उस मनुष्य से कहा की तूने उसे पेट भर खिलाया ही नहीं वर्ना वह घास क्यों खाने लगता।
बहुत जनो ने बकरे का पेट भरने का प्रयत्न किया किंतु ज्यों ही दरबार में उसके सामने घास डाली जाती तो वह फिर से खाने लगता।
एक विद्वान् ब्राह्मण ने सोचा इस एलान का कोई तो रहस्य है, तत्व है,, मैं युक्ति से
काम लूँगा,,
वह बकरे को चराने के लिए ले गया।
जब भी बकरा घास खाने के लिए जाता तो वह उसे लकड़ी से मारता,,
सारे दिन में ऐसा कई बार हुआ,,
अंत में बकरे ने सोचा की यदि मैं घास खाने का प्रयत्न करूँगा तो मार खानी पड़ेगी।
शाम को वह ब्राह्मण बकरे को लेकर राजदरबार में लौटा,
,
बकरे को तो उसने बिलकुल घास नहीं खिलाई थी फिर भी राजा से कहा मैंने इसको भरपेट खिलाया है।
अत: यह अब बिलकुल घास नहीं खायेगा,,
लो कर लीजिये परीक्षा....
राजा ने घास डाली लेकिन उस बकरे ने उसे खाया तो क्या देखा और सूंघा तक नहीं....
बकरे के मन में यह बात बैठ गयी थी कि अगर घास खाऊंगा तो मार पड़ेगी....
अत: उसने घास नहीं खाई....
मित्रों " यह बकरा हमारा मन ही है "
बकरे को घास चराने ले जाने वाला ब्राह्मण "
आत्मा" है।
राजा "परमात्मा" है।
मन को मारो नहीं,,, मन पर अंकुश
रखो....
मन सुधरेगा तो जीवन भी सुधरेगा।
अतः मन को विवेक रूपी लकड़ी से रोज पीटो..🙏
******************************************************************************************************************************************
** गधो को मंत्री बनाने की प्रथा **
एक राजा ने अपने जीजा की सिफारिश पर एक आदमी को मौसम विभाग का मंत्री बना दिया -
एक बार उसने शिकार पर जाने से पहले उस मंत्री से मौसम की भविष्य वाणी पूछी - मंत्री जी
बोले ज़रूर जाइए मौसाम कई दिनो तक बहुत अच्छा है - राजा थोड़ी दूर गया था की रास्ते में
कुम्हार मिला - वो बोला महाराज तेज़ बारिश आने वाली है कहाँ जा रहे हैं ? अब मंत्री के
मुक़ाबले कुम्हार की बात क्या मानी जाती, उसे वही चार जूते मारने की सज़ा सुनाई और आगे
बढ़ गये - वोही हुआ थोड़ी देर बाद तेज़ आँधी के साथ बारिश आई और जंगल दलदल बन गया ,
राजा जी जैसे तैसे महल में वापस आए , पहले तो उस मंत्री को बर्खास्त किया , फिर उस कुम्हार
को बुलाया - इनाम दिया और मौसाम विभाग के मंत्रिपद की पेशकश की - कुम्हार बोला हुज़ूरमैं
क्या जानू मौसम वौसम क्या होता है वो तो जब मेरे गधे के कान ढीले हो कर नीचे लटक जाते हैं
मैं समझ जाता हूँ वर्षा होने वाली है , और मेरा गधा कभी ग़लत साबित नहीं हुआ-राजा ने तुरत
कुम्हार को छोड़ कर उसके गधे को मंत्री बना दिया -
तब से ही गधो को मंत्री बनाने की प्रथा चली आ रही है
सभी कहानियों चित्ताकर्षक एवं एक संदेश देने वाली हैँ।
जवाब देंहटाएंUniversal truth, प्रेरणादायक हैं।
जवाब देंहटाएंVery nice All story
जवाब देंहटाएंGood
जवाब देंहटाएंBahut achcha laga
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया। क्या मैं अपनी कहानी इस पर डाल सकता हूं?
जवाब देंहटाएंall story is good
जवाब देंहटाएंVery best
जवाब देंहटाएंलघुकथा बहुत बढ़िया है। कृपयालघुकथा लेखकों के नाम दीजियेगा
जवाब देंहटाएं