हास्य और व्यंग से भरी रचनाये �� कभी हॅंस भी लिया करो��हॅंसना तो पड़ेगा �� हँसोगे तो फंसोगे ��

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शनिवार, 7 मार्च 2015

कबीर के आधुनिक दोहे!

कबीर के आधुनिक दोहे!

यदि कबीर जिन्दा होते तो आजकल के दोहे यह होते:

नयी सदी से मिल रही, दर्द भरी सौगात;
बेटा कहता बाप से, तेरी क्या औकात;

पानी आँखों का मरा, मरी शर्म औ लाज;
कहे बहू अब सास से, घर में मेरा राज;

भाई भी करता नहीं, भाई पर विश्वास;
बहन पराई हो गयी, साली खासमखास;

मंदिर में पूजा करें, घर में करें कलेश;
बापू तो बोझा लगे, पत्थर लगे गणेश;

बचे कहाँ अब शेष हैं, दया, धरम, ईमान;
पत्थर के भगवान हैं, पत्थर दिल इंसान;

पत्थर के भगवान को, लगते छप्पन भोग;
मर जाते फुटपाथ पर, भूखे, प्यासे लोग;

फैला है पाखंड का, अन्धकार सब ओर;
पापी करते जागरण, मचा-मचा कर शोर;

पहन मुखौटा धरम का, करते दिन भर पाप;
भंडारे करते फिरें, घर में भूखा बाप।

2 टिप्‍पणियां:

  1. ये दोहे हरियाणा के प्रसिद्ध दोहाकार श्री रघुविन्द्र यादव जी के हैं जो उनके दोहा संग्रह नागफनी के फूल में 2011 में प्रकाशित हो चुके हैं । एक जिम्मेदारी शहरी होने के नाते या तो आपको उनका नाम लिखना चाहिए या नागफनी के फूल से साभार लिखना चाहिए

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