एक बस कंडक्टर को एक महिला यात्री के ऊपर जानलेवा हमला करने के आरोप में अदालत में पेश किया गया.
जज – “ऐसी क्या बात हुई जो तुमने उस महिला पर हमला कर दिया ?”
कंडक्टर – “उसने मुझसे लक्ष्मी नगर का टिकट माँगा … मैंने उसे टिकट देकर मात्र दो रुपये माँगे.”
जज – “फिर ?”
कंडक्टर – “उसने कंधे से अपना बैग उतार कर खोला, फिर उसमें से एक छोटा पर्स निकाल कर खोला, फिर उसमें से 50 का नोट निकाला, पर्स बंद किया, बैग में रखा फिर बैग बंद किया, कंधे पर टांगा फिर मुझे नोट थमा दिया …”
जज – “फिर क्या हुआ ?”
कंडक्टर – “मैंने कहा कि खुल्ला नहीं है …”
जज – “फिर उसके बाद क्या हुआ ?”
कंडक्टर – “उसने कंधे से फिर बैग उतारा, उसे खोला, उसमें से पर्स निकाल कर 2 रुपये निकाले फिर पर्स बंद किया, बैग में रखा, बैग बंद किया कंधे पर टांगा फिर मुझे दो रुपये दिए !”
जज – “ओफ्फोह … फिर ऐसा क्या हुआ जो तुमने उसे मारा ?”
कंडक्टर – “जैसे ही मैं आगे बढ़ा उसने मुझे आवाज देकर फिर बुलाया और बोली कि आगे बैठी उसकी बहन के लिए एक टिकट और चाहिए ! मैंने कहा कि दो रुपये और दो !”
जज – “ओह … फिर क्या हुआ ?”
कंडक्टर – “उसने फिर कंधे से बैग उतारा, उसमें से छोटा पर्स निकाला फिर 50 का नोट निकाला, पर्स बंद किया, बैग में रखा, बैग बंद किया और कंधे पर टांगा फिर मुझे 50 का नोट थमा दिया !”
जज – “अरे पर ऐसा क्या हुआ कि तूने उसे मारा …. ?”
कंडक्टर – “उसने फिर कंधे से बैग उतारा, छोटा पर्स खोला उसमें 50 का नोट रखा, खुल्ले पैसे ढूंढें जो नहीं मिले, उसने फिर 50 का नोट निकाला, पर्स बंद किया, बैग बंद किया और कंधे पर टांग कर बोली कि खुल्ले पैसे नहीं हैं मेरे पास !”
जज- “अबे बस कर नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगा … !!”
कंडक्टर – “बस साहब … मैं भी पागल ही हो गया था !”
जज – “तुम्हें बाइज्जत बरी किया जाता है …!”
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