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सोमवार, 7 नवंबर 2016

"मिर्ची" खाऊगंा


एक बालक जिद पर अड गया..
बोला कि "मिर्ची" खाऊगंा..."मिर्ची" खाऊगंा...
घरवालो ने बहुत समझाया
पर नही माना !!
हार कर उसके गुरू जी को बुलाया गया|
वे जिद तुडवाने मे महारथी थे....
गुरू के अादेश पर "मिर्ची" मगंवाई गई...
उसे प्लेट में परोस बालक के सामने रखकर
गुरू बोले,
ले ! अब खा...
बालक मचल गया... बोला-
"तली हुई खाऊगंा.."
गुरू ने "मिर्ची" तलवाई अौर दहाडे, ले
अब चुपचाप खा...
बालक फिर गुलाटी मार गया..
अौर बोला अाधी खाऊगा...
मिर्ची के दो टुकडे किये गए..
अब बालक गुरूजी से बोला ..
पहले अाप खाअो....तभी मै खाऊगंा..
गुरू ने अाखँ नाक भीचं कर किसी तरह
अाधी "मिर्ची" निगली...
गुरू के मिर्ची निगलते ही बालक दहाड
मारकर रोने लगा..
कि अाप तो वो टुकडा खा गये
जो मुझे खाना था...
गुरू ने धोती सम्भाली अौर वहा से भाग निकले,
करना धरना कुछ नही,
नौटंकी दुनिया भर की....
वो ही बालक बडा होकर
"अरविन्द केजरीवाल"
के नाम से मशहुर हुअा....
अौर अब तो दिल्ली की हवाअो में भी "केजरीवाल" घुल गया है..

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