आजकल शहरों में लड़के-लड़की में प्यार होता है वह भी क्या खाक प्रेम होता है!
बस, ट्रेन, पार्टी कहीं भी मिल गए।
पहले चरण में ‘यू आर लुकिंग स्वीट’, फिर मोबाइल नंबर का आदान-प्रदान हुआ और बात शुरू हो गई।
दूसरी मुलाकात में ‘यू आर लुकिंग गॉर्जियस’।
तीसरी मुलाकात में अगर ‘यू आर लुकिंग हॉट’ तक पहुंच गए तो हो गया प्यार!
अरे प्यार तो गांव में हुआ करता था। सालभर तक चबूतरे पर बैठकर आती है-जाती है देखते रहते थे। प्यार का जिसको पता होना चाहिए उसे छोड़कर पूरे मोहल्ले को पता होता था।
समय दर्शन में ही बीत जाता था, प्रदर्शन का तो वक्त ही नहीं मिलता था।
कुछ समय बाद उसी लिफाफे में जिसमें लव लेटर देना था, उसमें 101 रुपए डालकर उसकी शादी में दे आते थे।
छह साल बाद जब वही लड़की किसी रेडीमेड कपड़े की दुकान पर मिल जाती है,
तो अपने बच्चे से कहती थी, ‘मामा जी से नमस्ते करो!’ अपन भी बच्चे का गाल खींचकर कहते थे, ‘बहुत क्यूट है, तुम पर गया है!’
जिसका खींचना चाहा था उसका तो खींच न पाए, बच्चे का ही गाल खींच लो!
बस, ट्रेन, पार्टी कहीं भी मिल गए।
पहले चरण में ‘यू आर लुकिंग स्वीट’, फिर मोबाइल नंबर का आदान-प्रदान हुआ और बात शुरू हो गई।
दूसरी मुलाकात में ‘यू आर लुकिंग गॉर्जियस’।
तीसरी मुलाकात में अगर ‘यू आर लुकिंग हॉट’ तक पहुंच गए तो हो गया प्यार!
अरे प्यार तो गांव में हुआ करता था। सालभर तक चबूतरे पर बैठकर आती है-जाती है देखते रहते थे। प्यार का जिसको पता होना चाहिए उसे छोड़कर पूरे मोहल्ले को पता होता था।
समय दर्शन में ही बीत जाता था, प्रदर्शन का तो वक्त ही नहीं मिलता था।
कुछ समय बाद उसी लिफाफे में जिसमें लव लेटर देना था, उसमें 101 रुपए डालकर उसकी शादी में दे आते थे।
छह साल बाद जब वही लड़की किसी रेडीमेड कपड़े की दुकान पर मिल जाती है,
तो अपने बच्चे से कहती थी, ‘मामा जी से नमस्ते करो!’ अपन भी बच्चे का गाल खींचकर कहते थे, ‘बहुत क्यूट है, तुम पर गया है!’
जिसका खींचना चाहा था उसका तो खींच न पाए, बच्चे का ही गाल खींच लो!

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