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शुक्रवार, 6 जनवरी 2017

छीन कर खानेवालों का कभी पेट नहीं भरता और बाँट कर खाने वाला कभी भूखा नहीं मरता...!!!

एक डलिया में संतरे बेचती बूढ़ी औरत से एक युवा अक्सर संतरे
खरीदता ।
अक्सरखरीदे संतरों से एक संतरा निकाल उसकी एक फाँक
चखता और कहता,
"
ये कम मीठा लग रहा हैदेखो !"
बूढ़ी औरत संतरे को चखती और प्रतिवाद करती
"
ना बाबू मीठा तो है!"
वो उस संतरे को वही छोड़,बाकी संतरे ले गर्दन झटकते आगे बढ़
जाता।
युवा अक्सर अपनी पत्नी के साथ होता था,
एक दिन पत्नी नें पूछा "ये संतरे हमेशा मीठे ही होते हैंपर यह
नौटंकी तुम हमेशा क्यों करते हो ?
"
युवा ने पत्नी को एक मधुर मुस्कान के साथ बताया -
"
वो बूढ़ी माँ संतरे बहुत मीठे बेचती हैपर खुद कभी नहीं खाती,
इस तरह मै उसे संतरा खिला देता हूँ ।
एक दिनबूढ़ी माँ सेउसके पड़ोस में सब्जी बेचनें वाली औरत ने
सवाल किया,
ये झक्की लड़का संतरे लेते इतनी चख चख करता हैपर संतरे तौलते
हुए मै तेरे पलड़े को देखती हूँतुम हमेशा उसकी चख चख मेंउसे
ज्यादा संतरे तौल देती है ।
बूढ़ी माँ नें साथ सब्जी बेचने वाली से कहा -
"
उसकी चख चख संतरे के लिए नहींमुझे संतरा खिलानें को लेकर
होती है,
वो समझता है में उसकी बात समझती नही,मै बस उसका प्रेम
देखती हूँपलड़ो पर संतरे अपनें आप बढ़ जाते हैं ।
.
मेरी हैसीयत से ज्यादा मेरी थाली मे तूने परोसा है.
तू लाख मुश्किलें भी दे दे मालिकमुझे तुझपे भरोसा है.
एक बात तो पक्की है की...
छीन कर खानेवालों का कभी पेट नहीं भरता
और बाँट कर खाने वाला कभी भूखा नहीं मरता...!!!

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