हास्य और व्यंग से भरी रचनाये �� कभी हॅंस भी लिया करो��हॅंसना तो पड़ेगा �� हँसोगे तो फंसोगे ��

Recent Tube

AD1

160,600

Archive

AD4

AD5

Blogger द्वारा संचालित.

AD6

AD7

Your Ad Spot

sponsor

sponsor

AD WEB PUSH

Author

बुधवार, 15 फ़रवरी 2017

राजा का बकरा


किसी राजा के पास एक बकरा था ।
एक बार उसने एलान किया की जो कोई
इस बकरे को जंगल में चराकर तृप्त करेगा
मैं उसे आधा राज्य दे दूंगा।
किंतु बकरे का पेट पूरा भरा है या नहीं
इसकी परीक्षा मैं खुद करूँगा।
इस एलान को सुनकर एक मनुष्य राजा के पास आकर
कहने लगा कि बकरा चराना कोई बड़ी बात नहीं है।
वह बकरे को लेकर जंगल में गया और सारे दिन
उसे घास चराता रहा,, शाम तक उसने बकरे को खूब
घास खिलाई और फिर सोचा की सारे दिन
इसने इतनी घास खाई है अब तो इसका पेट भर गया
होगा तो अब इसको राजा के पास ले चलूँ,,
बकरे के साथ वह राजा के पास गया,,
राजा ने थोड़ी सी हरी घास बकरे के सामने रखी
तो बकरा उसे खाने लगा।
इस पर राजा ने उस मनुष्य से कहा की तूने उसे पेट भर
खिलाया ही नहीं वर्ना वह घास क्यों खाने लगता।
बहुत जनो ने बकरे का पेट भरने का प्रयत्न किया
किंतु ज्यों ही दरबार में उसके सामने घास डाली जाती तो
वह फिर से खाने लगता।
एक विद्वान् ब्राह्मण ने सोचा इस एलान का कोई तो
रहस्य है, तत्व है,, मैं युक्ति से काम लूँगा,,
वह बकरे को चराने के लिए ले गया।
जब भी बकरा घास खाने के लिए जाता तो वह उसे
लकड़ी से मारता,,
सारे दिन में ऐसा कई बार हुआ,,
अंत में बकरे ने सोचा की यदि
मैं घास खाने का प्रयत्न करूँगा तो मार खानी पड़ेगी।
शाम को वह ब्राह्मण बकरे को लेकर राजदरबार में लौटा,
,
बकरे को तो उसने बिलकुल घास नहीं खिलाई थी
फिर भी राजा से कहा मैंने इसको भरपेट खिलाया है।
अत: यह अब बिलकुल घास नहीं खायेगा,,
लो कर लीजिये परीक्षा....
राजा ने घास डाली लेकिन उस बकरे ने उसे खाया तो
क्या देखा और सूंघा तक नहीं....
बकरे के मन में यह बात बैठ गयी थी कि अगर
घास खाऊंगा तो मार पड़ेगी....
अत: उसने घास नहीं खाई....
मित्रों " यह बकरा हमारा मन ही है "
बकरे को घास चराने ले जाने वाला ब्राह्मण " आत्मा" है।
राजा "परमात्मा" है।
मन को मारो नहीं,,, मन पर अंकुश रखो....
मन सुधरेगा तो जीवन भी सुधरेगा।

अतः मन को विवेक रूपी लकड़ी से रोज पीटो..🙏

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

AD NATIVE

468*60

आपको यह ब्लॉग केसा लगा?

AD PO

AD FOOTER